वास्तु शास्त्र पारंपरिक हिंदू मान्यताओं पर आधारित वास्तुकला का प्राचीन विज्ञान है जिसमे प्रकृति के साथ, इमारत और उसके अंदर रहने वाले मनुष्यों के अनुरूप करने के लिए भवन का लेआउट और डिजाइन का सम्पूर्ण वर्णन है। जब सब कुछ संतुलन में होता है, तो इमारतों में रहने वाले इंसानों को समृद्ध और खुशहाल जीवन मिलेगा। वास्तु शास्त्र में, यह माना जाता है कि सही तरीके से भवन का निर्माण हो तो वह नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश रोक कर सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करेगा।
पौधे और फूलों की तरह हर इमारत का अपना जीवन होता है और उसे ऊर्जा की ज़रुरत होती है। जिस तरह गलत दिशा में पेड़ लगाने पर सूर्य की रौशनी की कमी के कारन वो पेड़ मुरझा जाता है और अपनी पूर्ण क्षमता से फूलों का उत्पादन नहीं कर पाता उसे तरह, गलत वास्तु का असर घर और उसमे रहने वाले लोगों पर पड़ता है। इससे घर में रहने वाले लोगो को कार्य में रुकावट, धन की कमी, गृह-क्लेश इत्यादि कष्टों का सामना भी कभी-कभी करना पड़ता हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुरूप घर बनाने से आपके जीवन में संतुलन और सामंजस्य बना रहेगा और खुशहाली के कारन घर में शान्ति भी होगी। जैसे ही हमारे शरीर, हमारी आत्मा का निवासस्थान एक पवित्र स्थान है, वैसे ही हमारे घर हैं, इसलिए इस विचारपुस्तक में हमने कुछ ज़रूरी वास्तु सिद्धांतो का वर्णन किया है जो घर में सुखद वातावरण को बनाये रखने में मददगार सिद्ध होंगे।
आपकी रसोई खुशहाली और का समृद्धि का प्रतिक है इसलिए इसे इतना अभेद्य बनाइए ताकि वो हर बुराई से अछूता रहे। दवाओं को रसोई घर से दूर रखने के लिए इसलिए कहा जाता है क्योकि रसोई स्वास्थ्य और खुशी को इंगित करता है, और दवाइयां अन्यथा इंगित करती हैं।
वास्तु शास्त्र में मुख्य प्रवेश द्वार को विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि यह वह जगह है जहां से घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का आना-जाना होता है। यदि सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है, तो घर में रहने वाले लोग खुश और समृद्ध जीवन जीते हैं, और यदि नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है, तो खराब वाइब्स का अनुभव होता है, इसीलिए घर का मुख्य प्रवेश द्वार सफलता का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांतो के मुताबिक, मुख्य प्रवेश द्वार को पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए ताकि सुबह-सुबह सूर्य की उज्जवल किरणे सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश के साथ घर को शुद्ध कर दे।
दरवाजे के बाहर एक नाम पटल होने के विचार के पीछे गहरा विज्ञान है। वास्तु विशेषज्ञ घर के बाहर नामपटल रखने के लिए सलाह देते हैं क्योकि यह घर पर आपके स्वामित्व को प्रमाणित करता है। यह प्रक्रिया मालिकों के पक्ष में काम करता है क्योंकि इससे आपके हिस्से की सकारात्मकता जल्दी हासिल होगी और ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए अच्छे अवसर मिलते रहेंगे।
घर का लेआउट डिजाइन करते वक़्त वास्तुशास्त्र विशेषज्ञों के साथ अगर आर्किटेक्ट्स परामर्श करे तो घर आसानी से वास्तुशास्त्र के अनुरूप बन सकता है क्योकि मुख्य प्रवेश द्वार के अलावा, वास्तु शास्त्र में अन्य कमरों की स्थिति भी महत्वपूर्ण है।
इस रेखाचित्र में, आर्किटेक्ट्स ने वास्तु शास्त्र के सिद्धांतो के अनुसार घर का छायांकन किया है। रसोई घर के लिए दक्षिण पश्चिम, मुख्य प्रवेश द्वार को रसोईघर से दूर और शयनकक्ष दक्षिण दिशा में स्तिथ है जबकि शौचालयों पूजा कक्ष से दूर शयनकक्ष के निकट हैं। यह सच है कि सभी वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं के कुछ सिद्धांतों और संवेदनाओं के जरिये सकारात्मक ऊर्जा को घर में आकर्षित किया जा सकता है।
अगर आपको दीवारों पर चित्र टांगने का शौक है तो ध्यान रखें के ये फ्रेम्स त्रासदी, युद्ध, क्रोध या बर्बादी के दृश्यों को न दर्शाती हों या इनमे चील और उल्लू जैसे पक्षी न हो क्योकि ये चित्र घर की शान्ति के लिए अशुभ माने जाते है। वास्तुशास्त्र के अनुसार ये मुसीबत को आमंत्रित करते हैं और घर के शांतिपूर्ण माहौल दूषित करें हैं, यदि आपके घर में है, तो उन्हें तुरंत हटा दें।
बेडरूम में कोई दर्पण नहीं होना चाहिए। यदि आपके पास पहले से ही ड्रेसिंग टेबल या अलमारी दर्पण है, तो आपको इसे सोते समय पर्दा के साथ कवर करना होगा। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि दर्पण को बिस्तर से दूर रखा गया है वास्तु के अनुसार, यह बीमार स्वास्थ्य और परिवार के विच्छेदन की ओर जाता है।
वास्तु शास्त्र और चीनी फेंगशुई के सिद्धांतों में काफी समानता है । यदि आप अपने घर खुशियों को आमंत्रित करने के लिए आसान युक्तियों की तलाश कर रहे हैं, तो इस विचारपुस्तक को देखें: फ़ेंग शुई के लिए एक त्वरित गाइड।